आज ठोकर खा कर गिर गयी तो क्या हुआ, फिर उठ जाउंगी मैं ए ज़िन्दगी यूँ मजाक ना बना , फिर चलना सिख जाउंगी मैं ठोकर खायी है तो क्या , रास्ते अब सही से जान लूंगी मैं फूलों की खुशबू और कांटो का जख्म अब पहचान लूंगी मैं अब कोशिशें बराबरी की नहीं , जीत की होगी ए मंज़िल !तू भी सुन ले बहुत जल्द तेरा पता छान लूंगी मैं अब वजूद को अपने जान लूंगी मैं . khud ko ab pehchaan lungi mai...