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आज ठोकर खा कर गिर गयी तो क्या हुआ, फिर उठ जाउंगी

आज ठोकर खा कर गिर गयी तो क्या हुआ,
 फिर उठ जाउंगी मैं
ए ज़िन्दगी यूँ मजाक ना बना ,
फिर चलना सिख जाउंगी मैं
 ठोकर खायी है तो क्या ,
रास्ते अब सही से जान लूंगी मैं 
फूलों की खुशबू और कांटो का जख्म  अब पहचान लूंगी मैं
 अब  कोशिशें बराबरी की नहीं ,
जीत की होगी
 ए मंज़िल !तू भी सुन ले 
बहुत जल्द तेरा पता छान लूंगी मैं 
अब वजूद को अपने जान लूंगी मैं . khud ko ab pehchaan lungi mai...
आज ठोकर खा कर गिर गयी तो क्या हुआ,
 फिर उठ जाउंगी मैं
ए ज़िन्दगी यूँ मजाक ना बना ,
फिर चलना सिख जाउंगी मैं
 ठोकर खायी है तो क्या ,
रास्ते अब सही से जान लूंगी मैं 
फूलों की खुशबू और कांटो का जख्म  अब पहचान लूंगी मैं
 अब  कोशिशें बराबरी की नहीं ,
जीत की होगी
 ए मंज़िल !तू भी सुन ले 
बहुत जल्द तेरा पता छान लूंगी मैं 
अब वजूद को अपने जान लूंगी मैं . khud ko ab pehchaan lungi mai...