Hate? it's the blockage between the soul and it's creator... नफ़रत की आग इंसान को ईश्वर के प्रेम से वांछित करदेती है, अगर किसी के कर्मों का आकार, तुम्हारे अंदर नफ़रत के बीज, बोने में सफ़ल होता है, तो इसमें जीत तुम्हारी नहीं, परंतु अंधकार की होती है, नफ़रत तो सिर्फ ईश्वर से, दूर ले जाने का काम करती है, परंतु उससे पहले वो तुम्हारा नाश करती है, इसलिए उखड़ फेंक नफरत के बीज को, इससे पहले विणाश काले विपरीत बुद्धि, ले चले तुझे सर्वनाश की ओर, इसलिए नफ़रत को छोर। ©Akhil Kael नफ़रत से नाता तोड़