क्या लिखूँ ये लफ़्ज़ आईने हैं मत इन्हें उछाल के चल, अदब की राह मिली है तो देखभाल के चल । कहे जो तुझसे उसे सुन, अमल भी कर उस पर, ग़ज़ल की बात है उसको न ऐसे टाल के चल । सभी के काम में आएँगे वक़्त पड़ने पर, तू अपने सारे तजुर्बे ग़ज़ल में ढाल के चल । मिली है ज़िन्दगी तुझको इसी ही मकसद से, सँभाल खुद को भी औरों को भी सँभाल के चल । कि उसके दर पे बिना माँगे सब ही मिलता है, चला है रब कि तरफ़ तो बिना सवाल के चल । अगर ये पाँव में होते तो चल भी सकता था, ये शूल दिल में चुभे हैं इन्हें निकाल के चल । तुझे भी चाह उजाले कि है, मुझे भी 'कुँअर' बुझे चिराग कहीं हों तो उनको बाल के चल । कुँवर बेचैन श्रद्धांजलि 🙏🌸 ©RAVINANDAN Tiwari #KunwarBechain