कलम और कागज़ सिर्फ एक शौक सा था लिखने का, दिल की हर बात कागज पे उतारने का. सोचा न था कभी इतना लिख पाऊंगा, हर पल कुछ सोचने के लिये मजबूर हो जाऊंगा. सोने जाता हू जब भी,दिमाग मे रचनाये जागृत होती है, बाद मे लिखुंगा सोचता हू,तो दिमाग से निकल जाती है. अब तो दोस्त भी पढते है,कहते है लिखता अच्छा है, खूबसुरत रहते है तेरे शब्द,क्यूँकी तू दिल का सच्चा है. #कागज#शौक#कलम#