आखों से बहता है पानी कैसी है ये ज़िन्दगानी अश्कों में अरमां सब बह गए। दिल की आरजू रह गई सब सह गाए। शम्मां जलती रही जलते रहे। शम्मां बुझती गई मिटते गए। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी अरमां बह गए।