ग़ज़ल आँखे क्यों नम है सब है तो हम है हम में भी ग़म है दुनिया क्यों कम है धरती पे रन है पीने को रम है जाती तेरी जो सब के सब सम है छाती में ले कर चलते क्यों बम है तेरी जाँ ,जाँ है तूँहीं रूपम है तुझ में भी क्या है? चींटी का दम है जग में परिवर्तन तूँ कैसा लम है जो जल,जम जाए तूँ वैसा जम है फिर इस धरती पे क्यों होता धम है अज़हर अली इमरोज़ मतलब रन ----युद्ध/युद्ध का मैदान रम---विलायती शराब रूपम___सौंदर्य/सुन्दर /गुनकारी ग़ज़ल