Story of Sanjay Sinha कल दफ़्तर से निकलने के बा

Story of Sanjay Sinha  
 कल दफ़्तर से निकलने के बाद मैं राजीव के घर चला गया था। राजीव मेरा दोस्त है। कई दिनों से सोचता-सोचता कल चला ही गया। 
राजीव ने मेरा खूब स्वागत किया। बहुत साल पहले हम दोनों साथ-साथ जिम जाते थे। फिर उसने नया फ्लैट खरीद लिया और वहीं शिफ्ट हो गया, तो हमारी मुलाकात कम होने लगी। कई दिनों से मिलने की सोच रहा था और कल मैंने फोन किया कि मैं आ रहा हूं। 
राजीव के घर मैं सबसे मिला। सिर्फ अंकल जी नहीं मिले। मैंने पूछा कि पापा कहां हैं, तो राजीव ने बताया कि आजकल अपने कमरे में रहते हैं। बाहर कम ही निकलते हैं। वैसे कुछ हुआ नहीं है, पर बुढ़ापा तो अपने आप में एक बीमारी है। 
मैंने कहा कि अंकल से मिल लेता हूं। पता नहीं फिर कब आना होगा, अंकल से मिले बहुत दिन हो गए हैं। 
राजीव ने कहा कि हां, हां, चलो कमरे में मिल लो। पर आजकल वो थोड़ा अनमने से रहते हैं। थोड़ा झक्की से हो गए हैं। कोई घर आए तो बाहर नहीं निकलते, पर कभी-कभी खुद ही दरवाजा खोल कर बाहर निकल जाते हैं। सामने पार्क में बेंच पर घंटों बैठे रहते हैं, फिर चले आते हैं। 
मैं उनके कमरे में गया। अंकल चुपचाप कुर्सी पर बैठे थे। मैंने पांव छुए तो उन्होंने मेरी ओर देखा, पर कुछ कहा नहीं। मैं पांव छू कर उठ रहा था, तो उन्होंने अपने हाथ मेरे सिर की ओर किया। उनके हाथ कांप रहे थे। मैंने उनकी आंखों में झांका। कहीं खोई हुई आंखें। ऐसा लगा कि वो मुझे पहचान रहे हैं कि ये संजय है, संजय सिन्हा। फिर लगा कि वो मुझे नहीं पहचान रहे। 
अंकल की उम्र बहुत नहीं होगी। अधिक से अधिक 70 के होंगे। हां, इतनी ही उम्र होगी। 
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Story of Sanjay Sinha कल दफ़्तर से निकलने के बाद मैं राजीव के घर चला गया था। राजीव मेरा दोस्त है। कई दिनों से सोचता-सोचता कल चला ही गया।  राजीव ने मेरा खूब स्वागत किया। बहुत साल पहले हम दोनों साथ-साथ जिम जाते थे। फिर उसने नया फ्लैट खरीद लिया और वहीं शिफ्ट हो गया, तो हमारी मुलाकात कम होने लगी। कई दिनों से मिलने की सोच रहा था और कल मैंने फोन किया कि मैं आ रहा हूं।  राजीव के घर मैं सबसे मिला। सिर्फ अंकल जी नहीं मिले। मैंने पूछा कि पापा कहां हैं, तो राजीव ने बताया कि आजकल अपने कमरे में रहते हैं। बाहर कम ही निकलते हैं। वैसे कुछ हुआ नहीं है, पर बुढ़ापा तो अपने आप में एक बीमारी है।  मैंने कहा कि अंकल से मिल लेता हूं। पता नहीं फिर कब आना होगा, अंकल से मिले बहुत दिन हो गए हैं।  राजीव ने कहा कि हां, हां, चलो कमरे में मिल लो। पर आजकल वो थोड़ा अनमने से रहते हैं। थोड़ा झक्की से हो गए हैं। कोई घर आए तो बाहर नहीं निकलते, पर कभी-कभी खुद ही दरवाजा खोल कर बाहर निकल जाते हैं। सामने पार्क में बेंच पर घंटों बैठे रहते हैं, फिर चले आते हैं।  मैं उनके कमरे में गया। अंकल चुपचाप कुर्सी पर बैठे थे। मैंने पांव छुए तो उन्होंने मेरी ओर देखा, पर कुछ कहा नहीं। मैं पांव छू कर उठ रहा था, तो उन्होंने अपने हाथ मेरे सिर की ओर किया। उनके हाथ कांप रहे थे। मैंने उनकी आंखों में झांका। कहीं खोई हुई आंखें। ऐसा लगा कि वो मुझे पहचान रहे हैं कि ये संजय है, संजय सिन्हा। फिर लगा कि वो मुझे नहीं पहचान रहे।  अंकल की उम्र बहुत नहीं होगी। अधिक से अधिक 70 के होंगे। हां, इतनी ही उम्र होगी।  #News

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