तुम्हारी चाहत में इस क़दर मसरूफ हो गए हैं ना ख़बर रही ख़ुद की न ज़माने की फ़िक्र कर सके हम तेरी दिलकश सूरत का असर था, या था मुझे इश्क़ का जुनून तेरी बेरुखी को तेरी अदा समझते रहे हम ©हिमांशु Kulshreshtha तेरी चाहत में..