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तुम मम् प्रियसी प्रियांशी मेरी राज रही जो ज़ुबान पर

तुम मम् प्रियसी प्रियांशी मेरी राज रही जो ज़ुबान पर ठहरी चलो सुनाऊ वो बात सुनहरी
ऐ मालिक मेरा एक काम तू कर एक रात उसी के नाम तो कर
जब से हैं आंखे चार हुई ख्वाहिश हर मेरी आम हुई
क्या बताऊ अब किस कदर उसपर मैं मरता रहता हूँ उसकी ही बातें अक्सर मैं दुनिया से करता रहता हूँ
जानती हो सपनो में मेरे अक्सर क्या कह जाती हो
अब तुम कम याद आते हो अब तुम कम याद आते हो
बातों बातों में न जाने क्या क्या बातें कह जाते हो
बेशक मेरी रूह को तुम यू करीब छू जाते हो
कलम की स्याही से जो अपने गम मिटाना चाहते हो
नही जानते क्या तुम इसको लिख लिखकर बिखरातें हो
अपने अंदर की अग्नि में ही जलकर भस्म हो जाते हो
एक पल को जो जीते तो दूजे को तुम मर जाते हो
मेरी अन्तरात्मा को क्यों इतना तड़पाते हो
अब तुम कम याद आते हो अब तुम कम याद आते हो #प्रियांशी
तुम मम् प्रियसी प्रियांशी मेरी राज रही जो ज़ुबान पर ठहरी चलो सुनाऊ वो बात सुनहरी
ऐ मालिक मेरा एक काम तू कर एक रात उसी के नाम तो कर
जब से हैं आंखे चार हुई ख्वाहिश हर मेरी आम हुई
क्या बताऊ अब किस कदर उसपर मैं मरता रहता हूँ उसकी ही बातें अक्सर मैं दुनिया से करता रहता हूँ
जानती हो सपनो में मेरे अक्सर क्या कह जाती हो
अब तुम कम याद आते हो अब तुम कम याद आते हो
बातों बातों में न जाने क्या क्या बातें कह जाते हो
बेशक मेरी रूह को तुम यू करीब छू जाते हो
कलम की स्याही से जो अपने गम मिटाना चाहते हो
नही जानते क्या तुम इसको लिख लिखकर बिखरातें हो
अपने अंदर की अग्नि में ही जलकर भस्म हो जाते हो
एक पल को जो जीते तो दूजे को तुम मर जाते हो
मेरी अन्तरात्मा को क्यों इतना तड़पाते हो
अब तुम कम याद आते हो अब तुम कम याद आते हो #प्रियांशी