बदलते अरमान अनुशीर्षक में दिल के अरमान एक एक कर के टूटे हैं आँखों में बसे सारे ख़्वाब झूठे हैं कैसे भुला दूँ उनकी यादों को लगे जाम क्या कभी छूटे हैं कभी हम टूटे कभी ख़्वाब टूटे ना जाने कितने टुकड़ों में तूने मेरे अरमान तोड़े हमसे वो सारे पहचान ले गए