ढूंढने निकली हूं वजूद अपना, ढूंढते - ढूंढते पहुंच गई , जा नहीं था कोई अपना । बेगानों के शहर में ढूंढते हुए अपनों को, फिर से भूल गई वजूद अपना। तभी अचानक से एक फरिश्ता आया, तभी अचानक से एक फरिश्ता आया। हाथ थाम मेरा उसने नया रास्ता दिखाया, उस रास्ते में ही छुपा था वजूद मेरा अपना। PiY@Poonamaggarwal कुछ न कुछ तो ढूँढ रहे हो आख़िर क्या ढूँढ रहे हो! #ढूँढनेनिकले #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi PiY@Poonamaggarwal Please ignore my mistake as my phone don't have hindi keyboard.