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मेरी नम हो रही नज़रें यूं तेरा रास्ता देखती हैं..

मेरी नम हो रही नज़रें  यूं तेरा रास्ता देखती हैं...
तेरे कहीं से आ जाने की आस तकती है...

तुम गए तो संग अपने मेरे वजूद को भी ले गए...
अब तो मेरे अंदर सिर्फ तन्हाई बस्ती है...

क्या कशिश थी तेरी उन आखों में...
जो मुझे तेरा मुंतजिर  कर गई...

तेरे ज़िक्र भर से ही मेरी शाम रंगीन हो जाया करती थीं...
अब तेरा ज़िक्र होते ही खामोशियां शोर मचाती है...

दिल उन उलझे सवालों में कहीं गुम सा रहता है...
जिसके जवाब दिए बिना तुम यूं चले गए थे...

अब तुम आओ तो संग अपने मेरी सारी हसी ले आना...
 उन सभी उलझे सवालों को सुलझा आना...

मेरी नज़रें जब तेरी नज़रों के रूबरू होंगी...
तेरी कशिश भरी नज़रों में फिर खो सी जाएंगी...

इस दफा जब तुम आओ तो कोई सफ़र संग न लाना...
हिजर के वो गहरे ज़ख्म खाए हैं मैंने पहले भी...

©@sadiya jawed #girl
मेरी नम हो रही नज़रें  यूं तेरा रास्ता देखती हैं...
तेरे कहीं से आ जाने की आस तकती है...

तुम गए तो संग अपने मेरे वजूद को भी ले गए...
अब तो मेरे अंदर सिर्फ तन्हाई बस्ती है...

क्या कशिश थी तेरी उन आखों में...
जो मुझे तेरा मुंतजिर  कर गई...

तेरे ज़िक्र भर से ही मेरी शाम रंगीन हो जाया करती थीं...
अब तेरा ज़िक्र होते ही खामोशियां शोर मचाती है...

दिल उन उलझे सवालों में कहीं गुम सा रहता है...
जिसके जवाब दिए बिना तुम यूं चले गए थे...

अब तुम आओ तो संग अपने मेरी सारी हसी ले आना...
 उन सभी उलझे सवालों को सुलझा आना...

मेरी नज़रें जब तेरी नज़रों के रूबरू होंगी...
तेरी कशिश भरी नज़रों में फिर खो सी जाएंगी...

इस दफा जब तुम आओ तो कोई सफ़र संग न लाना...
हिजर के वो गहरे ज़ख्म खाए हैं मैंने पहले भी...

©@sadiya jawed #girl