के सहारे जीती हूँ हर रोज, तुम्हारे यादों के सहारे जलती हूँ हर रोज, तुम्हारे बिना जीना भी क्या जीना मेरी लगता है तुम्हारे यादों के सहारे पा रही हूँ सज़ा हर रोज । - संध्या की मन की कोना सुप्रभात। सतरंगी यादों से भर जाती हैं आँखें कितने चेहरे मन के पर्दे पर लहराने लगते हैं। #सतरंगीयादें #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi