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वो चाहत है वो पूजा है मेरी जिसके बिना जिदंगी का क

वो चाहत है

वो पूजा है मेरी जिसके बिना जिदंगी का कोई मोल नहीं है,
वो नशा है मेरा जिसके बिना मेरा कोई वजूद ही नहीं है।
वो इबादत है मेरी जिसके बिना दुआ का कोई मतलब नहीं है,
वो चाहत है मेरी जिसके बिना मोहब्बत का कोई सफर नहीं है।
वो फल है मेरा जिसके बिना कर्म का कोई मतलब नहीं है,
वो सूकुन है मेरे जेहन का जिसके बिना आत्मा का कोई निशान नहीं है।  मेरे प्यार देवांशी के लिए,

आज मुझे एक सबक मिला है जिससे मुझे मोहब्बत के बारे में जानने मिला है,
उसके कुछ पल दूर होते ही मेरे पास सब होने के बावजूद मैंने सबकुछ हार दिया है।
वो धड़कन है मेरे इस जिस्म की जिसके बिना शायद ही मैं जिंदा रह नहीं पाता हूं,
वो पूजा है मेरी जिसको मैं समय के साथ और अधिक चाहने लगा हूं।
वो आदत है मेरी जिसके ना होने से मैं अकेला सा महसूस करता हूं,
वो तिश्नगी है मेरी जिसको मैं हरपल अपने करीब महसूस करता रहता हूं।
वो चाहत है

वो पूजा है मेरी जिसके बिना जिदंगी का कोई मोल नहीं है,
वो नशा है मेरा जिसके बिना मेरा कोई वजूद ही नहीं है।
वो इबादत है मेरी जिसके बिना दुआ का कोई मतलब नहीं है,
वो चाहत है मेरी जिसके बिना मोहब्बत का कोई सफर नहीं है।
वो फल है मेरा जिसके बिना कर्म का कोई मतलब नहीं है,
वो सूकुन है मेरे जेहन का जिसके बिना आत्मा का कोई निशान नहीं है।  मेरे प्यार देवांशी के लिए,

आज मुझे एक सबक मिला है जिससे मुझे मोहब्बत के बारे में जानने मिला है,
उसके कुछ पल दूर होते ही मेरे पास सब होने के बावजूद मैंने सबकुछ हार दिया है।
वो धड़कन है मेरे इस जिस्म की जिसके बिना शायद ही मैं जिंदा रह नहीं पाता हूं,
वो पूजा है मेरी जिसको मैं समय के साथ और अधिक चाहने लगा हूं।
वो आदत है मेरी जिसके ना होने से मैं अकेला सा महसूस करता हूं,
वो तिश्नगी है मेरी जिसको मैं हरपल अपने करीब महसूस करता रहता हूं।