ऐसे ही एक दिन... यह उस दिन की बात है जब जीनी @कमलेश भैय्या के पास सलाह मांगने जाता है। इससे पहले कि जीनी कुछ बोले, भैय्या उसे चार बात सुनने को कहकर एक बात बताकर भेज देते है। जीनी को कुछ समझ नहीं आता, लेकिन दीदी का घर आने का वक्त हो जाती है, इसलिए जीनी घर चला जाता है। बात ये था की बच्चे जीनी से कहानी सुनाने का ज़िद कर रहे थे क्यूंकि उनको स्कूल में कुछ assignment दिया गया था और इसी पे पीपीटी बनानी थी। बच्चों ने जीनी से कहा - कमलेश मामा रोज़ ओम और श्री को अच्छे अच्छे कहानी सुनाते है और आप हो कि हमेशा हमे बकवास सुनाते हो। तो इसलिए जीनी कमलेश भैय्या से मदद मांगने आता है पर उनकी बातों में आकर बिना कुछ कहे लौट जाता है। अगला दिन अचानक yq में प्रतियोगिता घोषित की जाती है, तो जीनी सोचा, चलो इस में तो कुछ मिल जाएगा, पर सब कुछ उल्टा पुल्टा हो जाता है, yq वालों का आपस में बहस, दीदी की मार पीट, फिर रेड का भाग जाना, कमलेश जी का ईनाम इनकार करना। तो जीनी कहानी के चक्कर में yq पे सैर करने लगता है। @रेड के पोस्ट पे आए तो गधों का कविता... " ये क्या अब इसकी माया मोह में गधे भी पड़ गए"। लेकिन उसको इतना समझ आया कि गधा मंहगी चीज़ है और लोग इसे खरीदने लाखों करोड़ों खर्च करते है। अरे हा, मैं भी एक गधा हूं, दीदी कितनी चालाक है, बिना एक कौड़े की मुझे फसा ली। दीदी की पिटाई की याद आते ही दीदी को फोन लगाता है। दीदी फोन पे "गधे के बच्चे, कहां हो, घर आकर मुझे कुछ ऑइंटमेंट लगाओ, बहुत दुख रहा है।" " हा, मैं तो गधा हूं", जीनी फोन रख देता है।पर मन में बहुत खुश था।