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प्रेम.. न तो कभी पूरा आकाश हो पाया और न ही कभी प

प्रेम..
न तो कभी पूरा 
आकाश हो पाया 
और न ही कभी पूरी धरा....।
वह..
न ही कभी पूरी मिट्टी हुआ 
और न ही कभी पूरी हवा..। 
प्रेम की पूर्णता ..
शायद इसी अपूर्णता में ही 
निहित रही। 
तभी मेरे भीतर....
न तो 'मैं' ही पूरी रही
और न ही कभी..
पूरी 'तुम' हो पाई..।।

प्रेम.. 
कण-कण में रहा
कस्तूरी-सा महका ..। 
रात से सवेरा हुआ ,
सवेरे से शाम में ढला।
वह न तो कभी 
एकरंग हो पाया
और न ही कभी 
एकरूप में ही ढल पाया। 

तभी शायद..
तुममें....
'तुम' पूरे न रहे 
और न ही कभी  # प्रेम अधूरा ही रहा..


प्रेम..
न तो कभी पूरा 
आकाश हो पाया 
और न ही कभी 
पूरी धरा....।
प्रेम..
न तो कभी पूरा 
आकाश हो पाया 
और न ही कभी पूरी धरा....।
वह..
न ही कभी पूरी मिट्टी हुआ 
और न ही कभी पूरी हवा..। 
प्रेम की पूर्णता ..
शायद इसी अपूर्णता में ही 
निहित रही। 
तभी मेरे भीतर....
न तो 'मैं' ही पूरी रही
और न ही कभी..
पूरी 'तुम' हो पाई..।।

प्रेम.. 
कण-कण में रहा
कस्तूरी-सा महका ..। 
रात से सवेरा हुआ ,
सवेरे से शाम में ढला।
वह न तो कभी 
एकरंग हो पाया
और न ही कभी 
एकरूप में ही ढल पाया। 

तभी शायद..
तुममें....
'तुम' पूरे न रहे 
और न ही कभी  # प्रेम अधूरा ही रहा..


प्रेम..
न तो कभी पूरा 
आकाश हो पाया 
और न ही कभी 
पूरी धरा....।

# प्रेम अधूरा ही रहा.. प्रेम.. न तो कभी पूरा आकाश हो पाया और न ही कभी पूरी धरा....। #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo