Unsplash किसी की दान पात्र तो, दानी पे नजर थी। किसी की बादशाह के, रानी पे नजर थी। लेखनी को प्यास थी रंगीन स्याह की, यानी सभी की रेत के पानी पे नजर थी। ©अरुण शुक्ल ‘अर्जुन' #poet https://youtube.com/shorts/1fBzxOsq1Bg?si=hbbOzRhEycdKLf7R