सुनकर उस मासूम की चीखें मेरा दिल भी दहल गया, हुआ कुछ ऐसा कि उसका पूरा जीवन ही बदल गया। उड़ती फिरती थी गलियों में कभी आजाद परिंदों सी जो, डरी सहमी सी दुबक कर चुप बैठी है सब कुछ छिन गया। उसकी आंँखों से उसकी तड़प आंँसू बनकर बह रही है, एक पल में ही उसकी जिंदगी का सारा मंजर बदल गया। जाने कौन दरिंदा था जिसे मासूम पर भी रहम ना आया, इंसानियत शर्मसार करके कोई उससे दरिंदगी कर गया। जमाना उसी मासूम को दोषी बताकर ताने मार रहा है, वो इसी सदमें में है जाने उसके साथ कौन क्या कर गया। ♥️ Challenge-537 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।