अकेली आती है और अकेली ही चली जाती है। अब के मॉनसून, गलियों में कस्तियाँ नहीं तैरती। होती है अब भी वही बारिश, पहले सी। गर गलियों की रौनक, अब घरों से नहीं निकलती। ©Shyarana Andaaz मानसून और बचपन #मानसून #बचपन #monsoon #Childhood