बहुत ली अंगड़ाई मैंने वह निशान नहीं दिखाई दी बहुत जगह डाला डेरा मैंने बिस्तर होने सरवटे खाई पर वो रात्रि नहीं मिल पाई जहां सुकून से सो सकूं कुछ यादें ताजा कर सकूं उसके साथ कुछ खुशी के पल बिता सकूं दिल है हाल जान सकूं कुछ अपने बयां कर सकूं ए वक्त तुझ से ही दरख्वास्त है मुझे कुछ हंसी के दोस्त दे दे तू कुछ कुछ रात पकड़ा दे तू फिर उसके साथ मुलाकातें हूं h by Praveen rajsthani milane ki Chahat