आसमां जब अपनी नजरे शर्म से झुका रही होगी; तब भी, भंवरे उल्लास में गुनगुना रही होगी। जब कभी कोई मिलने को तुमसे आतुरा रहा होगा; पता है, तब तेरा आंगन नजरें राह में बिछा रहा होगा। कांटे कभी कोमल तो पत्थर भी कठोर मिलते होंगे; पता है, तब भी तू फूल ही बरसा रहा होगा। दुनियां की दस्तूरीयत तुझे हरा रही होगी; पता है, तब भी तू अपनी शक्तियां लगा रहा होगा। थक गया हूं दुसरो में खुशियां और उन्हें खुश करते-करते; पता है, फिर भी तू उन्हें सँजो अपने अंदर गोता लगा रहा होगा। मिलना नहीं हैं अब मुझें किसी से , हाल-ए-सूरत कहा हूं मैं; पता है, दुनियां की रीत, पर मैंने खुद को अकेला कहा छोड़ा हैं। पता है, अभी तो यह शुरुआत बीज में अंकुरण हैं; गहराई भी असीम हैं, लेकिन उम्मीदों ने साथ कहा छोड़ा हैं। ये आसमा भी जब पलके उठा रही होंगी; पता है तब, अंधेरा भी खूब जगमगा रही होगी।। ©Saurav life #Ray #sauravlife #spmydream मिलते हैं कुछ समय बाद.....