उसके किसी भी महकते अफ़साने में मुझे ले चल तू दोस्त है मेरा तो चल अपने जमाने में मुझे ले चल . जिनको पका के ओढ़ बिछा पहन ली है खामोशी फिर से उन कच्चे तजुर्बों के बनाने में मुझे ले चल . जिनको बहला फुसला के सुला आया हूँ छुपाकर मेरे अधूरे उन ख्वाबों के सिरहाने पे मुझे ले चल . जहाँ मैं ख़ुद से मिल जाऊँ कोई सफ़र तू ऐसा रख बस इसी राह की मंज़िल के निशाने पे मुझे ले चल . किसी से बात हो जाये तो सारे सच उगल दूँ मैं गूंगा हूँ मैं चुप रहूंगा इसी बहाने से मुझे ले चल . तू बेशक़ जानता है धीर को मैं बेहतर जानता हूँ जब जानता ही है तो तेरे याराने में मुझे ले चल . याराने