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नमन तुम्हे हे अवतारी वीर महावीर प्रभु वीतरगी। तु

नमन तुम्हे हे अवतारी

 वीर महावीर प्रभु वीतरगी।
तुम सम न कोई करुणाधारी।।
तुम सत्य अहिंसा के पुजारी।
तुम हो सबके तारणहारी।।
तुम पांच पापो के नशनहारी।
तुम पंच अणुव्रतों के पालनहारी।।
तुम हो सबके संकटहारी।
नमन तुम्हे हे पवित्र अवतारी।।
दिखे सुंदर मूरत स्वर्णकारी।
रिद्धि सिद्धि नवनिधि के धारी।।
 तुम इस युग के कल्याणकारी।
महावीर जी में है ,मूर्त अतिशयकारी।।

तुम हो तीन लोक के नाथ प्रभु।
सदा देते भक्तो का साथ प्रभु।।
 रखना मुझ पर भीअपना हाथ प्रभु।
 झुकाऊ तुम चरणो मे अपना माथ प्रभु।।


जियो और जीने दो की राह दिखाते ।
अहिंसा परोमधर्मः सबको सिखाते।।

©chahat
  #MahavirJayanti
shilpijain8470

chahat

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