प्रकृति की गोद में ना रास्ते ने साथ दिया ना मंजिल ने इंतजार किया मैं क्या लिखूं अपनी जिंदगी भर मेरे साथ तो उम्मीदों ने भी मजाक किया ©Sumlesh Vaishnav sumlesh Vaishnav