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इंसान चाहे कितना भी बड़ा बन जाए लेकिन वो अपनी मातृ

इंसान चाहे कितना भी बड़ा बन जाए
लेकिन वो अपनी मातृ जननी और 
मातृ भूमि के ऋण को कभी नहीं चुका
सकता ।यही महानता होती है 
मातृ जननी और मातृ भूमि की
लेकिन इन दोनों की अपने पूरे 
तन,मन और धन से सेवा करनी चाहिए
 और इंसान अपने कर्तव्य को पूरा
करना चाहिए और हमेशा अपनी 
मातृ जननी और मातृ भूमि
की रक्षा करनी चाहिए
हर इंसान का यही सबसे 
बड़ा और महत्वपूर्ण धर्म एवम
कर्म होता है

©"pradyuman awasthi" #दायित्व इंसान का
इंसान चाहे कितना भी बड़ा बन जाए
लेकिन वो अपनी मातृ जननी और 
मातृ भूमि के ऋण को कभी नहीं चुका
सकता ।यही महानता होती है 
मातृ जननी और मातृ भूमि की
लेकिन इन दोनों की अपने पूरे 
तन,मन और धन से सेवा करनी चाहिए
 और इंसान अपने कर्तव्य को पूरा
करना चाहिए और हमेशा अपनी 
मातृ जननी और मातृ भूमि
की रक्षा करनी चाहिए
हर इंसान का यही सबसे 
बड़ा और महत्वपूर्ण धर्म एवम
कर्म होता है

©"pradyuman awasthi" #दायित्व इंसान का