अंधेरी रात में अकेला सा, ठुंठ सा जीवन, बेकार सा। तू दूर था, मैं तड़पती थी, मन ही मन ये दुहाई देती थी। कभी-कभी तो लगता था, मानो पहाड़ उठाए फिरूं मैं। फिर भी उठ खड़ी होती, मन में नई उम्मीद लिए। तू मेरी हिम्मत, मेरा सहारा, तेरे बिना ये जीवन, था बेकार। आशा की किरण, जलती रही, लो आज मुझे तुम मिल ही गई। ©Jeetal Shah #Darknight