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ग़ज़ल/غزل जो तू नहीं है तो फिर मौत ही लिपट जाए कि

ग़ज़ल/غزل

जो तू नहीं है तो फिर मौत ही लिपट जाए
किसी भी तरह तो ये सर्द रात कट जाए

उसे कहो मैं मुहब्बत से तंग आ गया हूं
उसे कहो कि मेरे रास्ते से हट जाए

तेरे बदन को किसी का भी हाथ छू ले अगर
मैं चाहता हूं किसी हादसे में कट जाए

भरे हुए हैं मेरे दिल में इतने गम शीराज़
मैं मुस्कुराऊं नहीं  तो ये सीना फट जाए 

✍शीराज़ ख़ान शीराज़/شیراز خان شیراز

©Sakshi Chauhan ❤ #shirajkhan 

#Flower
ग़ज़ल/غزل

जो तू नहीं है तो फिर मौत ही लिपट जाए
किसी भी तरह तो ये सर्द रात कट जाए

उसे कहो मैं मुहब्बत से तंग आ गया हूं
उसे कहो कि मेरे रास्ते से हट जाए

तेरे बदन को किसी का भी हाथ छू ले अगर
मैं चाहता हूं किसी हादसे में कट जाए

भरे हुए हैं मेरे दिल में इतने गम शीराज़
मैं मुस्कुराऊं नहीं  तो ये सीना फट जाए 

✍शीराज़ ख़ान शीराज़/شیراز خان شیراز

©Sakshi Chauhan ❤ #shirajkhan 

#Flower