उड़ना है उन्मुक्त गगन में उन्मुक्त पवन के संग पंछी संग इक झुण्ड बना उड़ना फैला के पंख भोर भए मैं घर से निकलूं लौटूं शाम मलंग हौसला लिए परों में अपने दिल में लिए उमंग प्रकाश पुंज जैसे होके विवर्तित बिखराता है रंग नभ में छाती अजब लालिमा हो जाता रंग-बिरंग वैसे ही मैं निखरना चाहूँ आसमान में बिखरना चाहूँ लहरो सा मैं उमड़ना चाहूँ बनकर एक तरंग बन बूँद वाष्प मैं होना चाहूँ मेघ ओढ़कर सोना चाहूँ उन बादलों में विचरना चाहूँ मैं बनाकर उनमे सुरंग ये सपनों का संसार है मेरा जीने का आधार है मेरा ये स्वप्न करो साकार प्रभु है तुमसे विनती विनम्र #चौबेजी ©Choubey_Jii #चौबेजी #Nojoto #kavita #nojotohindi #Shayar #Shayari #poem #Hindi #mastmagan