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पहले लोग बोलते थे । झूट के पैर नी होते। लेकिन आज झ

पहले लोग बोलते थे ।
झूट के पैर नी होते।
लेकिन आज झूट ही 
चल रहा है।
और हमारी जनता सोच रही है
के देश बदल रहा है।
इस लिए अब इन सब को 
पकोड़े तलने दीजिए।
और जैसा चलता आ रहा है
वैसा ही चलने दीजिए।
ताहिर। जैसा चल रहा है।चलने दीजिए
पहले लोग बोलते थे ।
झूट के पैर नी होते।
लेकिन आज झूट ही 
चल रहा है।
और हमारी जनता सोच रही है
के देश बदल रहा है।
इस लिए अब इन सब को 
पकोड़े तलने दीजिए।
और जैसा चलता आ रहा है
वैसा ही चलने दीजिए।
ताहिर। जैसा चल रहा है।चलने दीजिए

जैसा चल रहा है।चलने दीजिए