बस अल्पविराम और पूर्ण विराम बनकर रह गई है यह ज़िन्दगी ना अधूरा छोड़ती है ना पूरा करती है यह जिंदगी कैसे दिखा दूं कितने जख्म थे मेरे इस मासूम दिल पर हर बार उसी मासूम दिल को बेवफाओ के हाथो शोप जाती है यह जिंदगी LOKESH ARSHAAN #अल्पविराम