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** भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,


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भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,
       कवि साकी बनकर आया है।
 भरकर कविता का प्याला, 
कभी न कण-भर खाली होगा ,
लाख पिएँ, दो लाख पिएँ
   पाठकगण हैं पीने वाले, 
      पुस्तक मेरी मधुशाला।।
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                                         *हरिवंश राय बच्चन *

©Mukesh Patle
  #कविताएँ #bookslover💞
mukeshpatle5781

Mukesh Patle

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