मेरे हाथों में कलम और अल्फाज़ो में तुम होती थी कोई और काम न था हमें मेरा दिन और रात सिर्फ तुम ही होती थी उतरती थी तुम मेरे वर्क पर चांदनी रातों में ऐसा लगता था चाँद की चांदनी तुम थी आज वही पल ही हमें जीना सीखा रहें हैं और कह रहें हैं तुम जिस्म से ना हुई मेरी तो क्या हुआ मेरे अल्फाज़ो में बसे तेरे अक्स हमें जीना सीखा रहें हैं ©Rajeev Bhardwaj लेखक #nojoto_shayari #kavita #rajeev_bhardwaj VAniya writer *