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मेरे हाथों में कलम और अल्फाज़ो में तुम होती थी कोई

मेरे हाथों में कलम 
और अल्फाज़ो में तुम होती थी
कोई और काम न था हमें 
मेरा दिन और रात सिर्फ तुम ही होती थी
उतरती थी तुम मेरे वर्क पर चांदनी रातों में 
ऐसा लगता था चाँद की चांदनी तुम थी
आज वही पल ही हमें जीना सीखा रहें हैं 
और कह रहें हैं तुम जिस्म से ना हुई मेरी तो क्या हुआ 
मेरे अल्फाज़ो में बसे तेरे अक्स हमें जीना सीखा रहें हैं

©Rajeev Bhardwaj लेखक #nojoto_shayari #kavita 
#rajeev_bhardwaj  Anshu writer  Sandeep Kumar Saveer Shivom Tiwari VAniya writer * SumitGaurav2005
मेरे हाथों में कलम 
और अल्फाज़ो में तुम होती थी
कोई और काम न था हमें 
मेरा दिन और रात सिर्फ तुम ही होती थी
उतरती थी तुम मेरे वर्क पर चांदनी रातों में 
ऐसा लगता था चाँद की चांदनी तुम थी
आज वही पल ही हमें जीना सीखा रहें हैं 
और कह रहें हैं तुम जिस्म से ना हुई मेरी तो क्या हुआ 
मेरे अल्फाज़ो में बसे तेरे अक्स हमें जीना सीखा रहें हैं

©Rajeev Bhardwaj लेखक #nojoto_shayari #kavita 
#rajeev_bhardwaj  Anshu writer  Sandeep Kumar Saveer Shivom Tiwari VAniya writer * SumitGaurav2005
rajeevbhardwaj8724

Raj k alfaz

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