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चलो ख्यानत भी की जाए मगर कब तक की जाए। एक डर सताता

चलो ख्यानत भी की जाए मगर कब तक की जाए।
एक डर सताता था,कब तू किसी और की हो जाए।

तहे दिल से शुक्रिया तेरा,ये बताने के लिए।
संभल जाए आप वरना क्या पता पागल हो जाए।

इतना भी दूरी मत बना लेना मुझ से कि
जब तुम बादल हो मेरे खातिर तब हम सागर हो जाए।   ख्यानत : किसी दूसरे की अमानत का चोरी से इस्तमाल करना।
चलो ख्यानत भी की जाए मगर कब तक की जाए।
एक डर सताता था,कब तू किसी और की हो जाए।

तहे दिल से शुक्रिया तेरा,ये बताने के लिए।
संभल जाए आप वरना क्या पता पागल हो जाए।

इतना भी दूरी मत बना लेना मुझ से कि
जब तुम बादल हो मेरे खातिर तब हम सागर हो जाए।   ख्यानत : किसी दूसरे की अमानत का चोरी से इस्तमाल करना।

ख्यानत : किसी दूसरे की अमानत का चोरी से इस्तमाल करना।