सच्चाई छुपाने से छुपती नहीं है, कभी न कभी ये बाहर आती है। और जब ह्रदय में घात करती है, यकीनन हर किसी को रुलाती है। जाने कैसा वो भयावह मंजर होगा, कातिलों के हाथ में खंजर होगा। कितनी चीखों से कश्मीर दहला होगा, आज भी कितनों का घर बंजर होगा। गोलियां चली होंगी हर तरफ, हर कंठ से चीखें उठीं होंगी, हैवानियत हावी हुई होगी, तड़प कर लाशें गिरी होंगीं। रूह कांप जाती है सोचकर, बेवजह ही ये जुल्म हुआ था। सियासत क्या कर रही थी, क्या वो मौत का जुआ था। आज जो उठी है ये आवाज, अब दबनी नहीं चाहिए। हक मिले कश्मीरी पंडितो को, ये आग अब बुझनी नहीं चाहिए। ©Diwan G #माहर_हिंदीशायर #पंडित #KashmiriFiles