K.3 अंतिम क्षण : महारथी कर्ण सारथी ये सचमुच ही छलियों का छली है, बल में भी इसके सम्मुख किसकी चली है! ये सारथी केवल रथ का ही नहीं है, तन-मन-धन क्या इसके ही नहीं है! मृत्यु आई है तेजस्वी के प्राण लेने, कटु जीवन से तनिक विश्राम देने। दुविधा में ही सही, शराशर को तान करके, यशस्वी होगा धनंजय वासुसेन को मार करके! निहत्थे अंगराज का सिर धड़ से तारकर, जिष्णु पछता रहा है उसे यूँ मारकर। तथाकथित धर्म के निहितार्थ होकर, विजय पाई है पार्थ ने स्वत्व खोकर । जीत की पावन घड़ी आ गयी है, उदासी है कि भुवन में छा गई है। जिष्णु - Victorious #yqdidi #yqkarn #yqmahabharata #yqk3 #yqsaumitr #yqyudh