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जब राग प्रीत के चिढ़ते हैं पंछी कलरव कर फिरते हैं

जब राग प्रीत के चिढ़ते हैं 
पंछी कलरव कर फिरते हैं
 तितली फिर क्रीडा करती है 
डाली-डाली पर फिरती है 
वह फूल खिले मुस्काते हैं 
शीतल पवनों के झोंके जैसे कोई गीत सुनाते हैं 
देवालय में शंखनाद सुन
 हृदय तृप्त हो जाता है 
वो लीन प्रभु की भक्ति में 
फिर दूर कहीं खो जाता है।
वह देखो बादल के गोले
 बरस-बरस कर हमसे बोले,
डाली पर वह सुंदर झूला
 बच्चों का लगता फिर मेला 
वह दूर खड़े वृक्षो को देखो 
मस्ती में कैसे झूम रहे
 जैसे अंबर को चुम रहे हो 
यह दृश्य बड़ा मनभावन है
 यह पावन माह ही सावन है।

©khusboo bagri sawan man bhawan🌺🌧

#sunflower #Nojoto #poem #sawan #Nature #Poetry #Love  #monsoon
जब राग प्रीत के चिढ़ते हैं 
पंछी कलरव कर फिरते हैं
 तितली फिर क्रीडा करती है 
डाली-डाली पर फिरती है 
वह फूल खिले मुस्काते हैं 
शीतल पवनों के झोंके जैसे कोई गीत सुनाते हैं 
देवालय में शंखनाद सुन
 हृदय तृप्त हो जाता है 
वो लीन प्रभु की भक्ति में 
फिर दूर कहीं खो जाता है।
वह देखो बादल के गोले
 बरस-बरस कर हमसे बोले,
डाली पर वह सुंदर झूला
 बच्चों का लगता फिर मेला 
वह दूर खड़े वृक्षो को देखो 
मस्ती में कैसे झूम रहे
 जैसे अंबर को चुम रहे हो 
यह दृश्य बड़ा मनभावन है
 यह पावन माह ही सावन है।

©khusboo bagri sawan man bhawan🌺🌧

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