याद आते ही, सहम उठता हूँ मैं खाली कमरे के,किसी कोने मे पड़ा हुँ मैं खुदा जाने ! क्यु किसी काम में मन नही लगता न जाने किसका सताया, मारा हुआ हू मैं मुझे मालूम है भर जायेंगा ये जखम भी आहिस्ता-आहिस्ता कम्बख्त !! रात-दिन बस यही सोचता हू मैं ©abhisri095 #आहिस्ता_आहिस्ता