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याद आते ही, सहम उठता हूँ मैं खाली कमरे के,किसी कोन

याद आते ही, सहम उठता हूँ मैं
खाली कमरे के,किसी कोने मे पड़ा हुँ मैं
खुदा जाने ! क्यु
किसी काम में मन नही लगता
न जाने किसका सताया, मारा हुआ हू मैं
मुझे मालूम है भर जायेंगा
ये जखम भी आहिस्ता-आहिस्ता
कम्बख्त !!
रात-दिन बस यही सोचता हू मैं

©abhisri095 #आहिस्ता_आहिस्ता
याद आते ही, सहम उठता हूँ मैं
खाली कमरे के,किसी कोने मे पड़ा हुँ मैं
खुदा जाने ! क्यु
किसी काम में मन नही लगता
न जाने किसका सताया, मारा हुआ हू मैं
मुझे मालूम है भर जायेंगा
ये जखम भी आहिस्ता-आहिस्ता
कम्बख्त !!
रात-दिन बस यही सोचता हू मैं

©abhisri095 #आहिस्ता_आहिस्ता
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