साथी के नाम ************** सैंकड़ों एकड़ में बिछी धान की हरी चादर कितना सुकून देती है आँखों को सरिया के जंगलों में एक अरसा बिताने के बाद महसूस किया है न तुमने सुनो साथी, जब भी मैं देखता हूँ तुम्हें जंग लगे लोहे के जंगलों में सुकूं मिलता है मेरी आँखों को धान की चादर की तरह ही। हँसी तुम्हारी लगती है धान की चटकती बालियों सी और खिल उठता हूँ मैं हर दफ़ा जब जब तुम हँसती हो खिलखिला कर मैं चाहता हूँ तुम हँसती रहो मुसलसल और चटकती रहे ये बालियाँ क्योंकि, ये 'बालियाँ जीवन देती हैं।' ******************* ©तारांश #veins #arzhai साथी के नाम ************** सैंकड़ों एकड़ में बिछी धान की हरी चादर कितना सुकून देती है आँखों को सरिया के जंगलों में एक अरसा बिताने के बाद