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जिस रात से डर लगता था , अब उसी रात में सुकुन मिलत

जिस रात से डर लगता था , 
अब उसी रात में सुकुन मिलता है... 
वो बचपन था , 
ये जिंदगी कि दौड़ है.. 
तब हम जिम्मेदारी थे , 
अब हमपे जिम्मेदारी हैं...

©Sushma
  जिस #रात  से डर लगता था , 
अब उसी रात में #सुकुन  मिलता है... 
वो बचपन था , 
ये जिंदगी कि दौड़ है.. 
तब हम जिम्मेदारी थे , 
अब हमपे #जिम्मेदारी  हैं...
sushma8030408761538

Sushma

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जिस #रात से डर लगता था , अब उसी रात में #सुकुन मिलता है... वो बचपन था , ये जिंदगी कि दौड़ है.. तब हम जिम्मेदारी थे , अब हमपे #जिम्मेदारी हैं... #ज़िन्दगी

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