"सुख दुख कि गलियों से भटकते भटकते, हम एक महफिल मे जा बेठे, यूँ तो सभी ने सूनाया हाल एक दिल का, पर हम तो महफिल को हि रूला बेठे" ✍️कैलाश चौधरी ✍️🙏 सरस्वती माँ को प्रणाम करता हूँ ✍️✍️