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तू कभी ख़्वाब कभी हक़ीक़त सा लगता है तू दिल की कोई

तू कभी ख़्वाब कभी हक़ीक़त सा लगता है
तू दिल की कोई ज़रूरत सा लगता है

ख़ुदा से माँगी हुई दुआओं का असर लगता है
तेरे संग इस ज़िंदगी का बसर लगता है

तेरी पाकीज़ा निगाहों में अपना मुस्तक़बिल लगता है
कुछ अधूरा था जो जिंदगी में अब कामिल लगता

तू मुझे कोई मुर्शिद सा लगता है
मेरी कलम की रोशनाई का ख़ुर्शीद लगता है

तू कोई ख़्वाब है या हक़ीक़त है 'अनाम'
कोई तो है जो अपना सा लगता है। मुस्तक़बिल :- भविष्य 
कामिल:- पूर्ण
मुर्शिद:- पथ प्रदर्शक 
ख़ुर्शीद :- सूरज
तू कभी ख़्वाब कभी हक़ीक़त सा लगता है
तू दिल की कोई ज़रूरत सा लगता है

ख़ुदा से माँगी हुई दुआओं का असर लगता है
तेरे संग इस ज़िंदगी का बसर लगता है

तेरी पाकीज़ा निगाहों में अपना मुस्तक़बिल लगता है
कुछ अधूरा था जो जिंदगी में अब कामिल लगता

तू मुझे कोई मुर्शिद सा लगता है
मेरी कलम की रोशनाई का ख़ुर्शीद लगता है

तू कोई ख़्वाब है या हक़ीक़त है 'अनाम'
कोई तो है जो अपना सा लगता है। मुस्तक़बिल :- भविष्य 
कामिल:- पूर्ण
मुर्शिद:- पथ प्रदर्शक 
ख़ुर्शीद :- सूरज