हम इश्क-मोहब्बत करते करते जब बीमार हो गए दिलफेंक हज़ारों आशिक यहाँ तब तैयार हो गए कबूतर-ए-मोबाइल से भेजा था इक प्यार का खतूत उसके अब्बू ने धर दबौची हमारी इब्तिदा-ए-करतूत सरेआम कर नुमाया दिखाया सबको ये सबूत इज़्ज़त हुई तमाशा पड़े सर पे सौ-सौ जूत अपनी ही रियासत में मियाँ जब लाचार हो गए दिलफेंक हज़ारों आशिक़ यहाँ तब तैयार हो गए.. बन सलीम गुजरते थे जिस गली अनारकली से हम गर ख़ाब भी मैं सोचूँ तो निकले,बैतुल-खला के दम अब दिल को यही रोज अपने समझा रहे है हम ये इश्क़-विश्क,प्यार-व्यार तो होता हैं वहम दिलों के बीच अब्बू अकबरी जब दीवार हो गए दिलफेंक हज़ारों आशिक़ यहाँ तब तैयार हो गए विजय त्यागी बैतुल-खला=Toilet, शौचालय खतूत= Letter, ख़त #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqdada #yqbhaijan #yqlove #yqhumour