तालीम नही प्राप्त की, ताउम्र किताबों से कुछ चेहरे पढ़ें तो जाना हकीकत क्या है। कौन अपना - कौन पराया है, इस जहां में दर्दे-दिल पुकार उठा यह नसीहत क्या है। शायद! नियति में ही नही थी खुशियाँ मेरे तो भला इस दुनिया से, शिकायत क्या है। वें मोहब्बत में नही समझ पाये नयनभाषा बेदर्दी! कैसे समझाऊं प्रेम-कीमत क्या है। हसीं दिल को सहर्ष समर्पित, धड़कन कर कमबख्त! पूछता नजर-ए-इनायत क्या है। जान कुर्बान कर दी यह वफ़ा, तुम्हारे लिए आँखो देखा! तेरी बेवफा, फितरत क्या है। शेष नही ओर श्वास भरें निष्प्राण शरीर मेरा बेचारा सोच रहा हूँ मैं कि कयामत क्या है। अनिल कागज़ संग बहा दर्द स्याही बनकर हे कलम! तेरे सिवाय ओर जरूरत क्या है। ©Anil Ray 🌟 पगली कहती मुझे अनिल तेरा ख्याल तक नही आयेगा मुझे कभी जिन अल्फाजों पर गीली पलकें यें मेरें आँसू ही इसके रचयिता हैं। 🌟 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 #ishaq #Love #Anil_Kalam