दिसंबर की सर्दी और चाय हो, तुम मेरे पास आए हो, बातें चलें चाहे इधर उधर की, तुम बीच बीच मुस्कुराए हो, चांद भी भीनी रोशनी दे, कोहरे की चादर चमकती दिखे, और मैं तुम्हें देखता के सोचता रहूं, ये मेरा सपना है या तुम हकीकत में आए हो। ©Nikhil Batra #LoveInDecember दिसंबर की सर्दी और चाय हो, तुम मेरे पास आए हो, बातें चलें चाहे इधर उधर की, तुम बीच बीच मुस्कुराए हो, चांद भी भीनी रोशनी दे, कोहरे की चादर चमकती दिखे,