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अपनी पलकों पे मिरे ख़्वाब सजाते तुम भी! मुझको पाया

अपनी पलकों पे मिरे ख़्वाब सजाते तुम भी!
मुझको पाया था तो फिर साथ निभाते तुम भी!

भीड़ ही ही भीड़ है, लोगों के मरासिम कितने,
मेरे हो जाते मुझे अपना बनाते तुम भी!

अपनी पलकों को बिछा रक्खा है जाने कब से!
इतना याद आते हो,इक दिन चले आते तुम भी!

शामे-तन्हाई में फिर याद तुम्हारी आई,
चांद की तरह किसी सिम्त से आते तुम भी! #aliem #khwab #marasim #mere_ho_jaate #yaad
अपनी पलकों पे मिरे ख़्वाब सजाते तुम भी!
मुझको पाया था तो फिर साथ निभाते तुम भी!

भीड़ ही ही भीड़ है, लोगों के मरासिम कितने,
मेरे हो जाते मुझे अपना बनाते तुम भी!

अपनी पलकों को बिछा रक्खा है जाने कब से!
इतना याद आते हो,इक दिन चले आते तुम भी!

शामे-तन्हाई में फिर याद तुम्हारी आई,
चांद की तरह किसी सिम्त से आते तुम भी! #aliem #khwab #marasim #mere_ho_jaate #yaad