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सरल भाषा में कहा जाए तो हर अपराध के दो पहलू सदैव ह

सरल भाषा में कहा जाए तो हर अपराध के दो पहलू सदैव होते हैं. पहला अपराधी और दूसरा पीड़ित !! आप पीड़ित को न्याय तब तक नहीं दिलवा सकते जब तक अपराधी को सज़ा ना हो जाए. जब जब पीड़ित के बारे में बात होगी तब तब अपराधी के बारे में भी बात की जाएगी. क्या यह मुमकिन है कि हम काले हिरण पे चर्चा करें और सलमान ख़ान का ज़िक्र तक ना हो? क्या ये मुमकिन है कि 9/11 की बात हो और ओसामा बिन लादेन को अनदेखा कर दिया जाए? मगर आज आप चाहते हैं कि हम अपराधियों की बात ना करें.  
आप चाहते हैं कि कठुआ की बात ना की जाए क्योंकि बलात्कारियों को बचाने के लिए निकला झुंड आपकी राजनैतिक विचारधारा का है. आप चाहते हैं कि उन्नाव की बात ना की जाए क्योंकि यहाँ बलात्कारी ही आपकी चहेती पार्टी का है? आप को यह समझना होगा कि आप धीरे धीरे अपनी ही बहन बेटियों के लिए खराब माहौल बना रहे है. आपका चहेता नेता कल को आपकी चहेती बेटी के साथ भी दुष्कर्म कर सकता है. किसी औरत को देख कर "टंच माल" कहने वाला आपका नेता कल को आपकी बहन को भी इसी तरह से संबोधित कर सकता है. "लड़के हैं !! ग़लतियाँ हो जाती है" बोलते हुए आपका दूसरा चहेता नेता आपकी बेटी के साथ भी वही ग़लती कर सकता है. इसलिए यह ज़रूरी हो गया है कि बुराई का विरोध किया जाए. अगर बुराई आपके धर्म में है, तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपके घर में है तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपकी पसंदीदा पार्टी में है तो उसका भी विरोध कीजिए. पार्टी या किसी नेता के प्रति भक्ति भाव त्याग कर अपने विवेक से काम लें और ग़लत को ग़लत कहने का साहस करें. 

मैं जानता हूँ कि विचारधारा की लड़ाई में सही ग़लत तय करना कठिन होता है मगर जो आपको साफ साफ ग़लत नज़र आ रहा है कम से कम उसका तो विरोध कर ही सकते हैं? आपने शंभूनाथ रैगर को अपना हीरो मान लिया? क्यों? क्योंकि उसके द्वारा की गयी नीच हरकत आपकी विचारधारा से मेल खाती थी. आपने गोडसे को "महात्मा" की उपाधि दे दी क्योंकि उसके द्वारा की गयी हत्या आपकी विचारधारा को सही प्रतीत हुई.  हर अपराधी किसी एक विचारधारा के हिसाब से हीरो बनाया जा सकता है. बिन लादेन भी कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं होगा. पूरी दुनिया उसकी कितनी भी खिलाफत कर ले मगर कुछ लोग ऐसे ज़रूर मिलेंगे जो बिन लादेन को हीरो मानते हैं और मानते रहेंगे. हमारे ही देश में कुछ लोगों की नज़रों में याक़ूब मेमन किसी हीरो से कम नहीं था क्योंकि उन लोगों की विचारधारा के हिसाब से याक़ूब ने जो किया वह सही था. अफ़ज़ल गुरु का समर्थन करने वाले बहुत से लोग हैं इस देश में क्योंकि अफ़ज़ल गुरु द्वारा किए गये अपराध उनकी विचारधारा की नज़र में सही थे. सलमान ख़ान पे दर्जनों अपराधिक केस क्यों ना चल रहें हो मगर "भाईजान के फ़ैन" उसको कभी ग़लत नहीं मानेंगे !! 

समय आ गया है जब आप अपनी पसंद और अपनी विचारधारा को किनारे रख कर सही और ग़लत में अंतर समझने का प्रयास करें. आप थोड़ी देर के लिए "भक्त", "वामपंथी", "खांग्रेस्सी" या "आपिये" वाले लेबल से खुद को बाहर निकालिए और ईमानदारी से अपराधियों का विरोध कीजिए. अगर किसी मुस्लिम द्वारा हिंदू लड़की का बलात्कार हो जाए तो वहाँ भी आप विचारधारा छोड़ कर हमेशा अपराधी का विरोध कीजिए चाहे वह आपकी चहेती पार्टी का या आपके अपने धर्म का क्यों ना हो. और यकीन मानों ऐसा करना ज़रूरी है. वरना जिस तरह कुछ लोगों के लिए गोडसे और कुछ लोगों के लिए लादेन जैसे लोग महात्मा बन गये हैं, वह दिन दूर नहीं जब कुलदीप सेंगर जैसे लोग भी महात्मा की उपाधि लेकर घूमेंगे और आप खुद से कभी नज़र नहीं मिला पाएँगे क्योंकि जब समय था तब आपने अपने पोलिटिकल एजेंडा के तहत उसका विरोध नहीं किया #justiceforasifa
सरल भाषा में कहा जाए तो हर अपराध के दो पहलू सदैव होते हैं. पहला अपराधी और दूसरा पीड़ित !! आप पीड़ित को न्याय तब तक नहीं दिलवा सकते जब तक अपराधी को सज़ा ना हो जाए. जब जब पीड़ित के बारे में बात होगी तब तब अपराधी के बारे में भी बात की जाएगी. क्या यह मुमकिन है कि हम काले हिरण पे चर्चा करें और सलमान ख़ान का ज़िक्र तक ना हो? क्या ये मुमकिन है कि 9/11 की बात हो और ओसामा बिन लादेन को अनदेखा कर दिया जाए? मगर आज आप चाहते हैं कि हम अपराधियों की बात ना करें.  
आप चाहते हैं कि कठुआ की बात ना की जाए क्योंकि बलात्कारियों को बचाने के लिए निकला झुंड आपकी राजनैतिक विचारधारा का है. आप चाहते हैं कि उन्नाव की बात ना की जाए क्योंकि यहाँ बलात्कारी ही आपकी चहेती पार्टी का है? आप को यह समझना होगा कि आप धीरे धीरे अपनी ही बहन बेटियों के लिए खराब माहौल बना रहे है. आपका चहेता नेता कल को आपकी चहेती बेटी के साथ भी दुष्कर्म कर सकता है. किसी औरत को देख कर "टंच माल" कहने वाला आपका नेता कल को आपकी बहन को भी इसी तरह से संबोधित कर सकता है. "लड़के हैं !! ग़लतियाँ हो जाती है" बोलते हुए आपका दूसरा चहेता नेता आपकी बेटी के साथ भी वही ग़लती कर सकता है. इसलिए यह ज़रूरी हो गया है कि बुराई का विरोध किया जाए. अगर बुराई आपके धर्म में है, तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपके घर में है तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपकी पसंदीदा पार्टी में है तो उसका भी विरोध कीजिए. पार्टी या किसी नेता के प्रति भक्ति भाव त्याग कर अपने विवेक से काम लें और ग़लत को ग़लत कहने का साहस करें. 

मैं जानता हूँ कि विचारधारा की लड़ाई में सही ग़लत तय करना कठिन होता है मगर जो आपको साफ साफ ग़लत नज़र आ रहा है कम से कम उसका तो विरोध कर ही सकते हैं? आपने शंभूनाथ रैगर को अपना हीरो मान लिया? क्यों? क्योंकि उसके द्वारा की गयी नीच हरकत आपकी विचारधारा से मेल खाती थी. आपने गोडसे को "महात्मा" की उपाधि दे दी क्योंकि उसके द्वारा की गयी हत्या आपकी विचारधारा को सही प्रतीत हुई.  हर अपराधी किसी एक विचारधारा के हिसाब से हीरो बनाया जा सकता है. बिन लादेन भी कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं होगा. पूरी दुनिया उसकी कितनी भी खिलाफत कर ले मगर कुछ लोग ऐसे ज़रूर मिलेंगे जो बिन लादेन को हीरो मानते हैं और मानते रहेंगे. हमारे ही देश में कुछ लोगों की नज़रों में याक़ूब मेमन किसी हीरो से कम नहीं था क्योंकि उन लोगों की विचारधारा के हिसाब से याक़ूब ने जो किया वह सही था. अफ़ज़ल गुरु का समर्थन करने वाले बहुत से लोग हैं इस देश में क्योंकि अफ़ज़ल गुरु द्वारा किए गये अपराध उनकी विचारधारा की नज़र में सही थे. सलमान ख़ान पे दर्जनों अपराधिक केस क्यों ना चल रहें हो मगर "भाईजान के फ़ैन" उसको कभी ग़लत नहीं मानेंगे !! 

समय आ गया है जब आप अपनी पसंद और अपनी विचारधारा को किनारे रख कर सही और ग़लत में अंतर समझने का प्रयास करें. आप थोड़ी देर के लिए "भक्त", "वामपंथी", "खांग्रेस्सी" या "आपिये" वाले लेबल से खुद को बाहर निकालिए और ईमानदारी से अपराधियों का विरोध कीजिए. अगर किसी मुस्लिम द्वारा हिंदू लड़की का बलात्कार हो जाए तो वहाँ भी आप विचारधारा छोड़ कर हमेशा अपराधी का विरोध कीजिए चाहे वह आपकी चहेती पार्टी का या आपके अपने धर्म का क्यों ना हो. और यकीन मानों ऐसा करना ज़रूरी है. वरना जिस तरह कुछ लोगों के लिए गोडसे और कुछ लोगों के लिए लादेन जैसे लोग महात्मा बन गये हैं, वह दिन दूर नहीं जब कुलदीप सेंगर जैसे लोग भी महात्मा की उपाधि लेकर घूमेंगे और आप खुद से कभी नज़र नहीं मिला पाएँगे क्योंकि जब समय था तब आपने अपने पोलिटिकल एजेंडा के तहत उसका विरोध नहीं किया #justiceforasifa