हमसफ़र मिले थे कुछ, अजनबी की तरह, दोस्त बने थे, कुछ हमसफर की तरह, एक पल में सब बदल गया, एक सपना था,जो टूट गया। बदल गया तो बचाना क्यों , और टूट गया तो रुकना क्यों ? - @sir_blaze _a _lot जज्बात है अधूरे, अटके है वही पर, चल रहे है...नई राह में। कुछ उसी पल के आगाज़ में। #हमसफ़र जुगलबंदी