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"अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती (Now i do not

"अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती
(Now i do not count among children)"

पहले मेरी सुबह में कुछ पाने की ज़िद होती,
उस ज़िद को दिन-भर मनवाने की ज़िक्र होती,
अब उस ज़िद की कहाँ ही किसे फ़िक्र होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

पहले हर दोपहर कुछ बनवाने की ज़िद होती,
उस ज़िद को थाली तक पहुँचाने एक फिक्र होती,
अब उस थाली में ज़िद की कोई जिक्र न होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

पहले साँझ होते ही खेलने की हरदम ज़िद होती,
उस ज़िद को गली-मोहल्ले तक लाने फिक्र होती,
अब उस गली में भी ख़ामोशी की ही ज़िक्र होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

पहले हर नींद में सपनों को देखने की ज़िद होती,
उस ज़िद को पूरा करने की एक फिक्र होती,
अब उस नींद की भी कहीं ज़िक्र भी ना होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

©Satyam Nema Bihari #responsibility #Nojoto #Hindi #nojohindi #hindi_poetry #himdipoetry #hindi_shayari #hindi_poem
"अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती
(Now i do not count among children)"

पहले मेरी सुबह में कुछ पाने की ज़िद होती,
उस ज़िद को दिन-भर मनवाने की ज़िक्र होती,
अब उस ज़िद की कहाँ ही किसे फ़िक्र होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

पहले हर दोपहर कुछ बनवाने की ज़िद होती,
उस ज़िद को थाली तक पहुँचाने एक फिक्र होती,
अब उस थाली में ज़िद की कोई जिक्र न होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

पहले साँझ होते ही खेलने की हरदम ज़िद होती,
उस ज़िद को गली-मोहल्ले तक लाने फिक्र होती,
अब उस गली में भी ख़ामोशी की ही ज़िक्र होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

पहले हर नींद में सपनों को देखने की ज़िद होती,
उस ज़िद को पूरा करने की एक फिक्र होती,
अब उस नींद की भी कहीं ज़िक्र भी ना होती,
शायद इसलिए अब मेरी गिनती बच्चों में नहीं होती।

©Satyam Nema Bihari #responsibility #Nojoto #Hindi #nojohindi #hindi_poetry #himdipoetry #hindi_shayari #hindi_poem